प्रेमचंद की इसी प्रासंगिकता के संदर्भ में प्रस्तुत है नारी प्रधान पारिवारिक कहानियों का संग्रह - "दो सखियाँ"
यह कहानी ऐसी दो सखिओं की है, जिनमे एक पति के गंभीर प्रेम को सदा शक की नज़र से देखती रही और उसका प्रेम खो बैठी; जबकि दूसरी ने न केवल पति को बल्कि उसके रूठे हुए परिवार को भी अपना बना लिया ।
चलिए देखते है इन दोनों सखियों की कहानी को जो वो एक दुसरे को पत्र लिख के सुनती है।
इस कहानी को यूट्यूब पर देखने के लिए क्लिक करें :https://youtu.be/o8Bk1OzSe-s
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